9 जरूरी विटामिन्स जिनको आपको अपनी डाइट में आज ही शामिल करना चाहिए

जरूरी विटामिन

आप इस पोस्ट में देखेंगे कि आपके शरीर को नौ विटामिनों के साथ-साथ कई खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है जो इन विटामिन्स में भरपूर होते हैं। विटामिन हमारे शरीर को सुचारु रूप से क्रियाशील रखने का एक अनिवार्य हिस्सा है। लेकिन इस बारे में काफी गलत धारणा ही कि विटामिन्स को शरीर के अंदर मौजूद सेल्स एवं बॉडी के उपयोग के लिए किस प्रकार से लिया जाए।

आपके शरीर को नौ विटामिनों के साथ-साथ कई खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है

हमारे माता-पिता तथा देखभाल करने वालों ने हमें नियमित रूप से याद दिलाया कि किस प्रकार से सब्जियाँ सभी तरह के स्वस्थ विटामिन व खनिज प्राप्त करने का सबसे अच्छा माध्यम है। अक्सर हम सोच सकते हैं कि शरीर को आवश्यक विटामिन प्राप्त करने के लिए भोजन के इलावा एक पूरक लेना सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन यह बात भी सही है कि भोजन के माध्यम से इन पोषक तत्वों को लेना इसको और भी अधिक प्रभावी बना देता है।

9 जरूरी विटामिन्स जिनको आपको अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए

कई बार विटामिन को “प्राकृतिक” के रूप में पेश किया जाता है। लेकिन सबसे अधिक प्राकृतिक तरीका यह है कि लोगों ने इसे हजारों वर्षों से कैसे सफलतापूर्ण ग्रहण किया है, “एक विविध व रंगीन फलों एवं सब्जियों से भरा एक स्वस्थ तथा पौष्टिक आहार के रूप में”।

वैसे देखा जाए तो जितने अधिक रंग व प्रकार के उत्पाद आप खा रहे हैं। यहां उतनी ही संभावना बनती है कि आप प्रमुख विटामिनों के दायरे का उपभोग करेंगे। उदहारण के लिए जिस प्रकार जैविक तकनीक का अभ्यास करने वाले छोटे स्थानीय खेतों से खरीद यह सुनिश्चित करने में भी मदद कर सकती है, कि आपकी उपज पोषक तत्वों से भरपूर हो। 

सबसे जरूरी विटामिन जो आपको अपनी डाइट में चाहिए

अगर देखा जाए तो पूरकता की आवश्यकता किसे हो सकती है?

पोषक तत्वों

निश्चित रूप से ऐसे समय कभी न कभी सभी के आता हैं, जब लोगों को किसी परिस्थिति या स्थिति के कारण विटामिन के पूरक की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए जो लोग शाकाहारी आहार का पालन करते हैं। उन्हें विटामिन बी 12 (जो कि बड़े पैमाने पर पशु-आधारित प्रोटीन एवं स्रोतों में पाया जाता है) के पूरक प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। इसी प्रकार से सिस्टिक फाइब्रोसिस वाले लोगों को भी पूरक की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि इस प्रकार के रोगी कई विटामिनों को ठीक से अवशोषित नहीं करते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अधिकांश विटामिन्स गोली के रूप में उत्पन्न नहीं हुए थे। बल्कि वे पारंपरिक आहार से उत्पन्न हुए थे। जिसने लोगों को हजारों वर्षों तक स्वस्थ रखा। जबकि कुछ लोगों को अपने विटामिन को गोली के रूप में लेने की आवश्यकता हो सकती है। देखा जाए तो औसत व्यक्ति के लिए उसका भोजन ही अक्सर उसके लिए दवा भी हो सकती है।

(1) विटामिन A

विटामिन ए

विटामिन A वास्तव में एक अकेला विटामिन नहीं है। लेकिन जिस प्रकार से अलग-अलग लोगों के पूरे परिवार को कभी-कभी ‘रेटिनोइड्स’ जैसे कि रेटिनॉल और कैरोटीनॉयड के रूप में लिया जाता है। जिसमें अल्फा-कैरोटीन एवं बीटा-कैरोटीन शामिल हैं।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

विटामिन ए हमारे प्रजनन व प्रतिरक्षा प्रणाली को कार्यशील रखने में महत्वपूर्ण है। साथ ही यह हमारे गुर्दे, हृदय और फेफड़ों को अच्छी तरह से काम करने में मदद करता है। यह सामान्य हड्डी व दांत के विकास के लिए भी आवश्यक है। एक और महत्वपूर्ण काम जो विटामिन ए करता है। वह यह है कि यह हमारी आंखों को हमें अंधेरे या कम प्रकाश में देखने में मदद करता है।  

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

अच्छी तरह से पोषित आबादी वाले देशों में विटामिन ए की कमी का खतरा बहुत कम है क्योंकि विटामिन ए शरीर में जमा होता है, विशेष रूप से लिवर में। हालांकि निमोनिया, मूत्र पथ के संक्रमण, कैंसर तथा प्रोस्टेट रोग जैसी कुछ स्थितियों से आपके शरीर से बहुत अधिक मात्रा में विटामिन ए निकल सकता है। 

वसा के Malabsorption वाले लोग पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए को अवशोषित करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। कभी कुछ दवाएं भी विटामिन ए के अवशोषण में बाधा डाल सकती हैं, जैसे कि कोलेस्टिरैमाइन और ऑर्लिस्टेट। विटामिन ए की कमी से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली खराब कार्य कर सकती है। यह कई नेत्र रोगों जैसे अंधापन, खराब हड्डियों के विकास और त्वचा के रोम छिद्रों सम्बन्धी समस्याओं का कारण बन सकता है।

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

यह शरीर में वसा के रूप में जमा होता है इसलिए बहुत अधिक विटामिन का ढेर एवं विषाक्तता का कारण बन सकता है। लक्षणों में सिरदर्द, दोहरी दृष्टि, थकान, मतली, उल्टी, या सिर का चक्कर शामिल हैं। बहुत अधिक विटामिन ए से ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी में फ्रैक्चर व लिवर की विषाक्तता भी हो सकती है।

इसकी अनुशंसित खुराक से ज्यादा होना जन्म सम्बन्धी दोष का कारण बन सकता है एवं इसलिए गर्भवती महिलाओं या प्रसव उम्र की महिलाओं को RDA (Recommended Dietary Allowance) से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए। बीटा-कैरोटीन विषाक्तता की संभावना बहुत कम है। लेकिन रोजाना बड़ी मात्रा में गाजर खाने से पीले-नारंगी त्वचा का रंग बदल सकता है।

विटामिन A पाने के प्रमुख स्त्रोत:-
  • शकरकंद
  • पालक
  • कच्ची गाजर
  • मलाई निकला दूध

(2) विटामिन C

विटामिन सी

विटामिन सी को एस्कॉर्बिक एसिड के रूप में भी जाना जाता है और यह प्रतिरक्षा कार्य के लिए महत्वपूर्ण है।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

शरीर के भीतर मौजूद अनगिनत ऊतकों की वृद्धि और मरम्मत में विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह स्वस्थ त्वचा, दांत और हड्डियों को बनाए रखने में मदद करता है। विटामिन सी भी एक एंटीऑक्सिडेंट है जो हमारी कोशिकाओं को मुक्त कणों, विषाक्त पदार्थों एवं विकिरण से क्षतिग्रस्त होने से बचाने में मदद करता है। आंतों में भोजन से आयरन को अवशोषित करने में विटामिन सी भी मदद कर सकता है। सर्दी जुखाम को रोकने व उसके इलाज के लिए विटामिन सी बहुत मदद करता है।

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

विटामिन सी की कमी स्कर्वी (एक प्रकार का रक्त सम्बन्धी रोग) के रूप में जानी जाने वाली स्थिति को जन्म दे सकती है। विटामिन सी के आभाव में पीड़ित व्यक्ति को थकान, मसूड़ों की सूजन व घाव भरने में होने वाली देरी के साथ पेश कर सकता है। कई साल पहले नाविकों के बीच यह आम बात थी जिनकी लंबी यात्रा के दौरान ताजे फलों नहीं मिल पाते थे।

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

विटामिन सी एक पानी में घुलनशील विटामिन है जिसके कारण यह शरीर में जमा नहीं होता है। जिसका सीधा अर्थ है कि शरीर के अतिरिक्त विटामिन सी की मात्रा यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाती है। बड़ी खुराक अभी भी दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। जिसमें मतली, पेट में ऐंठन, दस्त और अधिक गंभीर रूप से गुर्दे की पथरी के विकास को जन्म दे सकता है। मधुमेह, गुर्दे की पथरी एवं गुर्दे के कमजोर क्रियाशीलता रोगियों को गुर्दे की पथरी के जोखिम को बढ़ावा देती है। इसलिए अन्य प्रकार की जटिलताओं के कारण विटामिन सी की अधिक खुराक लेने से बचना चाहिए। 

विटामिन C पाने के प्रमुख स्त्रोत:-
  • लाल मिर्च
  • संतरे का रस
  • कीवी
  • ब्रोकोली
  • पके हुए आलू

(3) विटामिन D

विटामिन डी

विटामिन डी को कैल्सीफेरॉल के रूप में भी जाना जाता है। शोध से पता चला है कि विटामिन डी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है वा कोविड -19 से जुड़े लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

हमारे शरीर में विटामिन डी की एक अंतहीन संख्या है। विटामिन डी हड्डियों की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण खनिज हैं एवं हमारे रक्त में कैल्शियम के सामान्य स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही यह पूरे शरीर में सूजन को कम करने और ब्लड शुगर के निर्धारित स्तर को बनाए रखने में भी मदद करता है। 

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

विटामिन डी की कमी कैंसर से लेकर अवसाद तक जुड़ी है। विटामिन डी की कमी से मांसपेशियों की कमजोरी का खतरा बढ़ सकता है। युवा वा विकासशील बच्चों में यह रिकेट्स नामक बीमारी का कारण बन सकता है जो हड्डियों के असामान्य विकास को जन्म देता है। ऐसे लोगों में कम विटामिन डी का खतरा होता है। जिनमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन्हें सूरज की रोशनी के संपर्क में आने का कोई मौका नहीं मिलता है।

ऐसे लोग जिनकी त्वचा विटामिन डी को कुशलता से नहीं बना पाती है वा जिन लोगों की किडनी खराब होती है या फिर लिवर सम्बन्धी रोग होते है। छोटे शिशुओं में भी विटामिन डी की कमी होने का खतरा होता है क्योंकि माँ से प्राप्त दूध में पर्याप्त विटामिन डी नहीं होता है।

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

विटामिन डी की अधिकता आमतौर पर इसके बहुत अधिक पूरक लेने से विकसित होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्राकृतिक रूप से विटामिन डी का सेवन खाद्य पदार्थों से मिलना जरुरी नहीं है। इसलिए हमारे आहार के द्वारा बहुत अधिक मात्रा में इसे प्राप्त करना कठिन है। हमारी त्वचा भी सूरज के संपर्क में आने से विटामिन डी बनाने में सक्षम होती है।

इसके साथ ही हमारे शरीर में उत्पादित विटामिन डी की मात्रा को क्रमानुसार रखने में अच्छी भूमिका निभाता है। विटामिन डी की अधिकता से बड़ी मात्रा में कैल्शियम का निर्माण हो सकता है जिसे हाइपरलकसीमिया कहा जाता है। इससे सिरदर्द, भूख में कमी, उल्टी, कमजोरी, भ्रम एवं पेशाब में वृद्धि हो सकती है।

अधिक गंभीर मामलों में यह अनियमित धड़कन, गुर्दे की पथरी और गुर्दे की विफलता का कारण भी बन सकता है। इसको प्राकर्तिक आहार के रूप में प्राप्त करना थोड़ा बहुत कठिन हो सकता है। खाने के बहुत सारी चीजे विटामिन डी के अच्छे स्त्रोत साबित हो सकते है। यदपि कुछ खाद्य पदार्थो में यह प्राकर्तिक रूप में भी मिलता है।

विटामिन D पाने के प्रमुख स्त्रोत:- 
  • कॉड लिवर आयल
  • स्किम्ड दूध
  • ऑरेंज जूस
  • नाश्ते में लिए जाने वाले अनाज (दलिया, ओट्स)

अंदुरुनी बात:

विटामिन डी को प्राप्त करने का सबसे अच्छा और कुदरती तरीका है “सूर्य की रोशनी के द्वारा”। सूर्य हमारे शरीर के कोलेस्ट्रॉल को विटामिन डी में परिवर्तित करता है। यह आपकी त्वचा को कैंसर जैसे रोग से बचता है व जरुरी विटामिन डी को अपने अंदर सोख लेता है।  

(4) विटामिन E

विटामिन ई

विटामिन ई को अल्फा-टोकोफेरॉल के रूप में भी जाना जाता है।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

विटामिन ई हमारे रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने में मदद करता है और थक्के बनने से रोकता है। विटामिन ई भी एक एंटीऑक्सिडेंट है जोकि मुक्त कणों को कैप्चर करता है। जो हमारी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

विटामिन ई की कमी बहुत कम होती है लेकिन इसके परिणामस्वरूप तंत्रिका या मांसपेशियों की क्षति हो सकती है। जिससे शरीर का बड़ा नुकसान हो सकता है। या फिर मांसपेशियों में कमजोरी रह सकती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने का कारण भी बन सकता है वा एक प्रकार के एनीमिया से जुड़ा होता है। जिसे हेमोलिटिक एनीमिया कहा जाता है। विटामिन ई की कमी उन रोगियों में हो सकती है व जो सामान्य रूप से चर्बी को अवशोषित करते हैं जैसे कि Crohn’s Disease या cystic fibrosis.

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

विटामिन ई की अधिकता के कारण मितली, दस्त, आंतों में ऐंठन, सिरदर्द, थकान और कमजोरी हो सकती है। विटामिन ई विषाक्तता के अधिक गंभीर परिणामों में अत्यधिक रक्तस्राव शामिल है, जिससे स्ट्रोक या मृत्यु भी हो सकती है।

विटामिन E पाने के प्रमुख स्त्रोत:
  • गेहूं के अंकुर का तेल
  • सूरजमुखी के बीज 
  • बादाम सूखा 
  • कुसुम तेल
  • मूंगफली का मक्खन/ पीनट बटर

(5) विटामिन K

विटामिन K

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

विटामिन K हमारे शरीर में रक्त के थक्कों को बनाने में मदद करने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है जब हमें उनकी आवश्यकता होती है। यह घाव या चोट के स्थानों पर रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है। कुछ सबूत यह भी हैं कि यह हमारी हड्डियों तथा किडनी को स्वस्थ रख सकता है।

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

पर्याप्त विटामिन K के बिना, रक्तस्राव को रोकने के लिए घाव और चोट वाले स्थान को भरने में अधिक समय लग सकता है। यह हड्डी के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकता है। विटामिन K की कमी दुर्लभ है। क्योंकि यह ज्यादातर लोग के लिए यह भोजन से पर्याप्त मात्रा में मिलने की वजह बन जाता हैं।

आंत में बैक्टीरिया भी विटामिन K बनाते हैं। हालांकि लिवर रोग के रोगियों में विटामिन K की कमी के लक्षण हो सकते हैं। इसके साथ ही उन लोगों में भी स्थितियां होती हैं जो विटामिन K के अवशोषण को रोकते हैं, जैसे कि अल्सरेटिव कोलाइटिस, सिस्टिक फाइब्रोसिस एवं जो लोग वजन घटाने की सर्जरी अपनाते है।  

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

विटामिन K विषाक्तता बहुत दुर्लभ है तथा यहां तक कि इसकी बड़ी मात्रा से भी कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। हालांकि विटामिन K कुछ दवाओं जैसे कि वार्फरिन के साथ रियेक्ट कर सकता है।

विटामिन K पाने के प्रमुख स्त्रोत:-
  • शलजम
  • कच्ची पालक
  • कच्ची गोभी
  • ब्रोकोली

(6) विटामिन B 2

विटामिन बी 2

विटामिन बी 2 को राइबोफ्लेविन के रूप में भी जाना जाता है।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

विटामिन बी 2 हमें मजबूत बनाए रखने के लिए हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से ऊर्जा छोड़ने में मदद करता है। यह स्वस्थ कोशिका वृद्धि, दृष्टि, त्वचा, बाल वा नाखूनों के लिए आवश्यक है। यह बी 3 और बी 6 जैसे अन्य विटामिनों के कार्यों की सहायता करने में भी मदद करता है।

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

आपके मुंह के कोनों, सूजे हुए और फटे होंठों पर घाव, विटामिन बी2 की कमी का पहला संकेत हो सकता है। लंबे समय तक कमी से मोतियाबिंद और एनीमिया भी हो सकता है। विटामिन बी 2 की कमी हो सकती है यदि आप अपने आहार में इसे पर्याप्त मात्रा में नहीं लेते हैं या बहुत अधिक शराब पीते है।

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

विटामिन बी 2 विषाक्तता बहुत दुर्लभ है और यहां तक कि बड़ी मात्रा में दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं। सामान्य खुराक पर भी विटामिन बी 2 का उपयोग आपके मूत्र को पीले-नारंगी रंग में बदल सकता है। यह एक सामान्य दुष्प्रभाव है जो हानिकारक नहीं है।

विटामिन B 2 पाने के प्रमुख स्त्रोत:-
  • नाश्ता में लिए जाने वाले अनाज (दलिया, ओट्स)
  • सादा दही
  • मशरूम
  • रोस्टेड बादाम

(7) विटामिन B 3

विटामिन बी 3

विटामिन बी 3 को नियासिन के नाम से भी जाना जाता है।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

विटामिन बी 3 हमारी कोशिकाओं एवं हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में सहायता करता है। यह हमारी आंत, नसों और त्वचा को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

विटामिन बी 3 की कमी से Pellagra नामक एक दुर्लभ स्थिति हो सकती है। Pellagra सूर्य की सीधी रोशनी पड़ने वाले क्षेत्रों, मनोभ्रंश या स्मृति में परिवर्तन के साथ-साथ  मितली और उल्टी या यहां तक कि मृत्यु पेश कर सकता है। पेलाग्रा आमतौर पर उन लोगों में होता है जो बुरी तरह से कुपोषित होते हैं। जैसे कि अल्कोहल का अधिक उपयोग करने वाले लोग, एनोरेक्सिया या एड्स पीड़ित होते हैं।

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

विटामिन बी 3 की विषाक्तता जीआई के लक्षण पैदा कर सकता है, जैसे कि मितली, उल्टी और दस्त। इसी प्रकार से लिवर की विषाक्तता विटामिन बी 3 अति प्रयोग की एक गंभीर जटिलता है। उपचार की खुराक लेने पर विटामिन बी 3 चेहरे, गर्दन, कान व छाती पर गर्माहट, खुजली, झुनझुनी का एहसास का कारण बन सकता है। लेकिन ध्यान दें कि यह हानिकारक नहीं है।

विटामिन B 3 पाने के प्रमुख स्त्रोत:-
  • चिकन
  • डिब्बाबंद टूना
  • नाश्ते में लिए जाने वाले अनाज 

(8) विटामिन B 9

विटामिन बी 9

विटामिन बी 9 को फोलेट या फोलिक एसिड के रूप में भी जाना जाता है।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

कोशिकाओं को विभाजित करने और आगे बढ़ने के लिए फोलेट की आवश्यकता होती है। फोलेट हमारे डीएनए के निर्माण खंडों को न्यूक्लिक एसिड बनाने में भी मदद करता है।

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

फोलेट और बी 12 हमारे लाल रक्त कोशिकाओं में एक बहुत ही विशिष्ट प्रकार की कमी का कारण बन सकते हैं जो उन्हें बढ़ने का कारण बनाते हैं। फोलेट की कमी जीआई मुद्दों जैसे दस्त और जीभ की असामान्यताएं भी पैदा कर सकती है। गर्भावस्था के दौरान इसकी कमी नवजात बच्चे में मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी के दोषों के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हुई है।

कुछ लोगों में इसकी कमी विकसित होने का खतरा अधिक होता है जिसमें अल्कोहल का उपयोग करने वाले विकार वाले लोग शामिल होते हैं। इसकी साथ ही जिन लोगों को समावेश में परेशानी होती है जैसे कि आंत्र की सूजन रोग वाले लोग। कुछ दवाओं के कारण फोलेट की कमी भी हो सकती है, जैसे कि Methotrexate या Phenytoin जैसी Anti-Epileptic दवाएं।

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

फोलेट की विषाक्तता अत्यंत दुर्लभ है क्योंकि फोलेट पानी में घुलनशील है और यह यूरिन में बहुत तेजी घुल कर शरीर से बाहर निकल जाता है। हालांकि, अपने आप में फोलिक एसिड की अधिक मात्रा लेने से वास्तव में बी 12 की कमी हो सकती है। इससे तंत्रिका संबंधी हानि, गंभीर व्यवहार परिवर्तन और बिगड़ा समन्वय जैसे गंभीर तंत्रिका संबंधी दुष्प्रभाव हो सकते हैं । 

विटामिन B 9 पाने के प्रमुख स्त्रोत:-
  • पालक
  • लोबिया / Black-eyed peas
  • नाश्ते में लिए जाने वाले आनाज 
  • सफेद चावल

(9) विटामिन B 12

विटामिन बी 12

विटामिन बी 12 को कोबालिन के रूप में भी जाना जाता है।

(a) शरीर में निर्धारित कार्य के जिम्मेदार:-

हमारा तंत्रिका तंत्र के विकास और उन्नति के लिए विटामिन B12 पर निर्भर करता है। विटामिन B12 डीएनए, आरएनए, प्रोटीन और लिपिड (वसा) के विकास में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही विटामिन बी 12 लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(b) विटामिन की कमी से होने वाली आशंका:-

फोलेट की तरह बी 12 की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं आकार में बढ़ सकता है और कम हो सकता है। जिससे कुछ प्रकार के एनीमिया जैसी बीमारी हो सकती हैं। लेकिन फोलेट के विपरीत, विटामिन बी 12 की कमी हमारे तंत्रिका तंत्र के साथ गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है। तंत्रिका तंत्र की कुछ समस्याओं में हाथों और पैरों में झुनझुनी एवं सुन्नता, अस्थिरता और भ्रम होना शामिल हैं।

कुछ लोगों को विटामिन बी 12 की कमी के विकास के लिए जोखिम हो सकता है, जिनमें शाकाहारी और ऐसे लोग हैं जिनकी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी या पाचन संबंधी बीमारियां हैं, जो विटामिन बी 12 के अवशोषण को रोकती हैं। कुछ दवाएं आपके शरीर को विटामिन बी 12 को अवशोषित करने से रोक सकती हैं, जैसे कि मेटफॉर्मिन और एसिड कम करने वाली दवाएं जैसे प्रोटॉन-पंप अवरोधक। 

(c) जरुरत से ज्यादा विटामिन लेने से होने वाले जोखिम:-

विटामिन बी 12 की विषाक्तता अत्यंत दुर्लभ है क्योंकि आपका शरीर अपनी जरुरत के मुताबिक इसका उपयोग करता है और बाकी बचे हुए को यूरिन के माध्यम से शरीर के बाहर निकाल देता है। विटामिन बी 12 की अधिक खुराक के साइड इफेक्ट्स में सिरदर्द, मतली, उल्टी और दस्त शामिल हो सकते हैं। हालांकि ये आमतौर पर दिए जाने वाले तरीके जैसे इंजेक्शन और इंट्रानैसल रूपों से भी जुड़े होते हैं।

विटामिन B 12 पाने के प्रमुख स्त्रोत:-
  • खमीर
  • सीपी
  • मछली

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स्त्रोत